Saturday, March 27, 2010
Friday, March 26, 2010
प्रसिद्ध गायक भजन सम्राट श्री विनोद अग्रवाल दारा अग्र परिचय के फ्राम का विमोचन
अग्रवाल समाज के प्रचलित गोत्र व उनके ऋषि
आपके शहर विदिशा के अग्र परिचय प्रतिनिधि मिलिन अग्रवाल
आपके शहर ब्यावरा के अग्र परिचय प्रतिनिधि अंकित मंगल
आपके शहर सिहोर के अग्र परिचय प्रशासक
आपके शहर सिहोर के अग्र परिचय प्रशासक
आप का विश्वास अग्र परिचय का साथ अपने सपने अपने अंदाज़ पूरी होगी आपकी आस यही हे विश्वास
हम आपका फ्राम भी डिज़ाइन कर सकते आप अपनी डीटेल भेजे या आप के परिचय सम्मेलन का फ्राम आप हमारी साईट के माध्यम से पुरे भारत के अग्र बंधुओ से जुड़ सकते हे जेसा की आगर मालवा के अग्र बंधुओ के दारा कराये जा रहे परिचय सम्मेलन के फ्राम अब हमारी साईट पर उपलब्द हे और आगामी ४ एक दिनों में हमारे दारा एक मल्टी कलर ४ पेज का ५००० संख्या में एक समाचार पत्र का प्रकाशन भी किया जा रह हे जिस पर आगर मालवा परिचय सम्मेलन के फ्राम व अग्र परिचय के फ्राम व अग्र परिचय की प्रदेश स्तर इकाई के पद अधिकारियो के फोटो और नाम सहित प्रिंट होएगे वो पुरे भारत में अग्र बंधुओ तक डाक दारा पहुचाये जाएगे आप भी इस समाचार पत्र में अपने परिचय सम्मेलन का फ्राम प्रकशित करवा सकते हे और पुरे पुरे भारत के अग्र बंधुओ से जुड़ सकते हे आप के फोन या इ मेल के के इंतजार में अग्र परिचय प्रशासक अतुल अग्रवाल सिहोर मध्य प्रदेश ९८९३५१५३७९
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अग्रपरिचय
अतुल अग्रवाल रंगभूमि ग्राफिक्स
अग्रवाल शापिंग काम्प्लेक्स सब्जी मण्डी के पास
सिहोर मध्य प्रदेश 466001
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कार्यालय का नम्बर 07562 - 404041
Sunday, March 21, 2010
युगदृष्टा महाराजा अग्रसेन का जन्म लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व प्रताप नगर के राजा वल्लभ के यहां सूर्यवंशी क्षत्रिय कुल में हुआ माना जाता है । आप बाल्यकाल से ही अत्यन्त दयालु, उदार तथा सहिष्णु प्रवृत्ति के थे । आपका विवाह नागराज महिधर की कन्या से स्वयंवर रीति से हुआ था । 35 वर्ष की आयु में अग्रोहा साम्राज्य की नींव डाली, आपके राज्य में अहिंसा का पालन, मानव समता, श्रम, पुरुषार्थ तथा समन्वय की भावना से सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः तथा समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति को समाज की मुख्य धारा सो जोड़ना सर्वोपरि था ।
आपका जीवन त्याग, तपस्या एवं मर्यादापूर्ण रहा । आपने तत्कालीन यज्ञों में प्रचलित हिंसा का त्याग कर 18 महायज्ञों का आयोजन किया । माना जाता है कि यज्ञों में बैठे 18 गुरुओं के नाम पर ही अग्रवंश (अग्रवाल समाज) की स्थापना हुई ।
हिंसारहित समाज की अवधारणा के साथ-साथ आपने भातृत्व और मैत्री भाव को मानव कल्याण के लिए संस्थापित किया, जिससे समग्र समाज समुन्नत हो सके । अपने राज्य में एक ईंट एक मुद्रा का उद्घोष किया, जिसमें सक्षम व्यक्ति सामाजिक दायित्व के तहत अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को सहयोग करे । मानव कल्याण की आपकी अंतर्निहित विचारधारा ने समतामूलक समाज का बीजारोपण कर परस्पर सहयोग से समाजवादी व्यवस्था विकसित की ।
आपके अग्र राज्य की नीति जियो और जीने दो मानवता का महान संदेश है । आपने निज स्वार्थ का परित्याग कर परमार्थ का रास्ता अपनाया और कृषक जीवन की प्रतिष्ठा, श्रम की महिमा, शोषणविहीन समाज, पशुबलि विरोध, ऊंच-नीच के भेदभाव का उन्मूलन, नारी चेतना, अनेकता में एकता आदि मूल्यों को समाज में प्रतिष्ठित किया ।
आप मानव-मात्र के उत्थान के साधक थे और परस्पर सहयोग द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को मानव कल्याण के लिए, दायित्व निर्वहन हेतु पथ-प्रदर्शन तथा आह्वान करते रहे ।
अग्रवाल शिरोमणि महाराजा अग्रसेन का स्मरण करना गंगाजी में स्नान करने के समान ही है। राज्य में बसने की इच्छा रखने वाले हर आगंतुक को, राज्य का हर नागरिक उसे मकान बनाने के लिए ईंट, व्यापार करने के लिए एक मुद्रा दिए जाने की राजाज्ञा महाराजा अग्रसेन ने दी थी। महाराजा अग्रसेन समानता पर आधारित आर्थिक नीति को अपनाने वाले संसार के प्रथम सम्राट थे।
महाराजा अग्रसेन प्रतापनगर के सूर्यवंशी क्षत्रिय राजा वल्लभ के पुत्र थे। वे बचपन से ही मेधावी एवं अपार तेजस्वी थे। वे पिता की आज्ञा से नागराज कुमुट की कन्या 'माधवी' के स्वयंवर में गए। वहाँ अनेक वीर योद्धा राजा, महाराजा, देवता आदि सभा में उपस्थित थे।
सुंदर राजकुमारी माधवी ने उपस्थित जनसमुदाय में से युवराज अग्रसेन के गले में वरमाला डालकर उनका वरण किया। इसे देवराज इंद्र ने अपना अपमान समझा और वे महाराजा अग्रसेन से कुपित हो गए। जिससे उनके राज्य में सूखा पड़ गया। जनता में त्राहि-त्राहि मच गई। प्रजा के कष्ट निवारण के लिए राजा अग्रसेन ने अपने आराध्य देव शिव की उपासना की।
उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने अग्रसेन को वरदान दिया तथा प्रतापगढ़ में सुख-समृद्धि एवं खुशहाली लौटाई। धन-संपदा और वैभव के लिए महाराजा अग्रसेन ने महालक्ष्मी की आराधना करके उन्हें प्रसन्न किया। महालक्ष्मीजी ने उनको समस्त सिद्धियाँ, धन-वैभव प्राप्त करने का आशीर्वाद दिया। और कहा कि तप को त्याग कर गृहस्थ जीवन का पालन करो, अपने वंश को आगे बढ़ाओ। तुम्हारा यही वंश कालांतर में तुम्हारे नाम से जाना जाएगा।
इसी आशीर्वाद के साथ कोलपुर के नागराजाओं से अपने संबंध स्थापित करने को कहा जिससे राज्य शक्तिशाली हो सके। वहाँ के नागराज महिस्थ ने अपनी कन्या सुंदरावती का विवाह महाराज अग्रसेन के साथ कर दिया। उनके 18 पुत्र थे। उन्होंने 18 यज्ञ किए थे। यज्ञों में पशुबलि दी जाती थी। 17 यज्ञ पूर्ण हो चुके थे।
जिस समय 18वें यज्ञ में जीवित पशुओं की बलि दी जा रही थी, महाराज अग्रसेन को उस दृश्य को देखकर घृणा उत्पन्न हो गई। उन्होंने यज्ञ को बीच में ही रोक दिया और कहा कि भविष्य में मेरे राज्य का कोई भी व्यक्ति यज्ञ में पशुबलि नहीं देगा, न पशु को मारेगा, न माँस खाएगा और राज्य का हर व्यक्ति प्राणीमात्र की रक्षा करेगा।
इस घटना से प्रभावित होकर उन्होंने क्षत्रिय धर्म को अपना लिया। महाराजा अग्रसेन की राजधानी अग्रोहा थी। उनके शासन में अनुशासन का पालन होता था। जनता निष्ठापूर्वक स्वतंत्रता के साथ अपने कर्त्तव्य का निर्वाह करती थी।
महाराज अग्रसेन ने 108 वर्षों तक राज किया। उन्होंने जिन जीवन मूल्यों को ग्रहण किया उनमें परंपरा एवं प्रयोग का संतुलित सामंजस्य दिखाई देता है। उन्होंने एक ओर हिन्दू धर्म ग्रथों में वैश्य वर्ण के लिए निर्देशित कर्मक्षेत्र को स्वीकार किया और दूसरी ओर देशकाल के परिप्रेक्ष्य में नए आदर्श स्थापित किए। उनके जीवन के मूल रूप से तीन आदर्श हैं- लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था, आर्थिक समरूपता एवं सामाजिक समानता। एक निश्चित आयु प्राप्त करने के बाद कुलदेवी महालक्ष्मी से परामर्श पर वे आग्रेय गणराज्य का शासन अपने ज्येष्ठ पुत्र विभु के हाथों में सौंपकर तपस्या करने चले गए।
आज भी इतिहास में महाराज अग्रसेन परम प्रतापी, धार्मिक, सहिष्णु, समाजवाद के प्रेरक महापुरुष के रूप में उल्लेखित हैं। देश में जगह-जगह अस्पताल, स्कूल, बावड़ी, धर्मशालाएँ आदि अग्रसेन के जीवन मूल्यों का आधार हैं और ये जीवन मूल्य मानव आस्था के प्रतीक हैं। स्वहित को परे रखकर जनहित के लिए समर्पित ऐसी महान विभूति को शत्-शत् नमन।
प्रस्तुति : दीपिका पोद्दार
समाज वाद का सिधांत एक रुपया और एक ईंट
जेसा की हम जानते हे की महाराजा अग्रसेन जी ने अपनी राजधानी अग्रोहा में बसाई थी और उनके दारा समाज वाद का सिधांत एक रुपया और एक ईंट सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहा हे इससे उनकी नगरी में कोई भी गरीब नहीं रहता था एक रुपया और एक ईंट के सिधांत से मिले रुपयों से वह व्यापर करता था और ईंट से अपने रहेने के किये घर का निर्माण करता था इस तरह से वह नगर में रह रहे और अग्र बंधुओ के सामान हो जाता था इससे उसके मन में कोई हीन भावना नहीं रहेती थी
Marwari Samaj: समाजवाद के प्रणेता अग्र शिरोमणि महाराजा अग्रसेन
Marwari Samaj: समाजवाद के प्रणेता अग्र शिरोमणि महाराजा अग्रसेन अग्र बंधू रक्त दान समुहू के दारा आप किसी की जिन्दगी बचा सकते हे दोड़ेगा आपका लहू किसी की जिंदगानी बन कर निकलेगी दुआ आपके लिए किसी के होटों पर जुबानी बन कर अग्र हे आगे बड़े
Saturday, March 20, 2010
परिचय पर उपलब्द
परिचय पर उपलब्द
Wednesday, March 3, 2010
अग्र परिचय
अग्र परिचय एक सशक्त मादयम हे अग्रवाल समाज के नव यूवको एवं यूवतियो के लिये अपने भावी जीवन साथी की तलाश का इसके माधयम से अग्रवाल समाज के नव यूवक एवं यूवती अपने अनुरप अपने जीवन साथी का चयन कर अपने जीवन में एक नया रंग भर सकते हे यह मध्य प्रदेश की पहली वैवाहिक वेब साईट हे जो अग्रवाल समाज के लिए निशुल्क रूप से काम कर रही हे मध्य प्रदेश के अग्र बंधुओ से मिले सहयोग और शुभकामनाओ से अग्र परिचय का परिवार बड़ता जा रहा हे और ये बड़े हर्ष की बात हे आप भी इस परिवार में शामिल हो सकते हे
अग्र परिचय के लिए agrprichy.blogspot.com का ब्लाग भी लिखा जा रह हे इस पर जा कर आप अपनी राय दे सकते हे या आप WWW agrprichy .com पर ईमेल कर सकते हे आपका सवागत हे आपके सुझाव और शिकायत हमारा मार्ग दर्शन करगे आप के इंतजार में अग्र परिचय प्रशासक
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In the waiting of you and your opinions
Agrprichy Family
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