
वर्तमान में जहा राजस्थान व हरियाणा राज्य हे इन के बीच एक सरस्वती नदी बहती थी इसी नदी के किनारे प्रताप नगर नामक एक राज्य था भारतुदु हरिशचंद के अनुसार माकिंल सृषी जिन्हने वेद मर्न्त की रचनाये की इन के राजा धनपाल की छठी पीडी में महाराज वल्भव प्रताप नगर के साशक हुए इनके यहाँ अग्रसेन
सुरसेन नामक दो पुत्र हुए महाराज अग्रसेन के जन्म के समय गर्ग सृषी ने महाराज वल्भव कहा की यह बहुत बड़ा राजा बनेगा इस के राज्य में एक नई साशन व्यवश्ता उदय होगी और हजारो वर्षो के बाद भी इनका नाम अमर होगा महाराज अग्रसेन ने नाग लोक के राजा कुमद के यहाँ आयोजित सव्य्म्वर में राजकुमारी
माधवी का वरण किया इस सव्य्म्वर में देव लोक से राजा इंद्र भी राजकुमारी माधवी से विवाह की इछा से उपस्तित थे परन्तु माधवी दारा श्री अग्रसेन का वरन करने से इंद्र कुपित होकर सव्य्म्वर स्थल से चले गये इस विवाह से नाग एवं आर्य कुल का नया गठबधन हुआ कुपित इंद्र ने अपने अनुचरो से प्रताप नगर में वर्षा
नहीं करने का आदेश दिया जिससे भयंकर आकाल पढ़ा त्राहि त्राहि मच गई तब अग्रसेन और सुरसेन ने दिव्य स्र्ष्तो के सधानसे